सिकल सेल खत्म करने में हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी : राज्यपाल पटेल

भोपाल : राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सिकल सेल खत्म करने में हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। सरकार और समाज की सहभागिता से ही सिकल सेल रोग का उन्मूलन होगा। सिकल सेल की जांच, उपचार, औषधि एवं जेनेटिक कार्ड वितरण में सरकार अच्छा कार्य कर रही है। समाज को भी आगे आना होगा। वर्ष 2047 में कोई भी बच्चा सिकल सेल रोग के साथ जन्म नहीं ले। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हर व्यक्ति को “मेरा भी योगदान हो”, इस भाव के साथ सिकल सेल उन्मूलन में जुड़ना होगा। उन्होंने बी.एम.एच.आर.सी. के सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों में डीएनए सिक्वेंसर मशीन प्रयोग शाला की स्थापना को सकारात्मक पहल बताते हुए सराहना की है।
राज्यपाल पटेल भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र में आयोजित सिकल सेल पर केन्द्रित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संस्थान द्वारा संगोष्ठी का आयोजन आनुवंशिक विश्लेषण प्रयोगशाला के लोकार्पण अवसर पर किया गया था। इससे पूर्व राज्यपाल पटेल ने आनुवंशिक विश्लेषण प्रयोगशाला का लोकार्पण और अवलोकन किया। रोगियों को किट प्रदान की। बीएमएचआरसी के सक्षमता केन्द्र से दिग्दर्शिका के प्रकाशन का लोकार्पण किया।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि सिकल सेल को समाप्त करने में हर व्यक्ति सहयोग कर सकता है। प्रयास करना होगा कि सिकल सेल रोगियों का आपस में विवाह नहीं हो, क्योंकि उनके बच्चे शत प्रतिशत सिकल सेल रोगी होगें। ऐसे प्रयास भी किए जाए कि वाहक युगल भी आपस में विवाह नहीं करें। वाहक दंपतियों के प्रत्येक गर्भधारण में संतान के रोगी होने की सम्भावना 25 प्रतिशत होगी। विवाह होने पर गर्भावस्था मे प्रि-नेटल जांच अवश्य कराए। उन्होंने कहा कि यह भी बताना उतना ही जरूरी है कि सामान्य के साथ रोगी अथवा वाहक के विवाह में कोई बाधा नहीं है। इसी तरह सिकल सेल रोगियों, वाहकों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए खान-पान एवं दिनचर्या संबंधी सावधानियों के बारे में भी सचेत करने मे समाज का सक्रिय सहयोग जरूरी है।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि सिकल सेल आनुवंशिक बीमारी है। इसलिए उन्मूलन जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। हमारे वैज्ञानिकों ने जीन स्तर के विश्लेषण के द्वारा रोग की जड़ तक पहुँचकर रोग उन्मूलन के लिए कार्य करने का अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध कराया है। प्रयोग शाला सिकल सेल रोग की विलक्षणता से उत्पन्न चुनौतियों और जटिलताओं को समझने और समाधान खोजने में सहायक होगी। इसकी विशेषताओं से ऐसा प्रतीत होता है कि यह मशीन सिकल सेल रोग की गम्भीरता के पूर्वानुमान और व्यक्तिगत चिकित्सा शोध के क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात करेगी।
जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा है कि प्रदेश के सभी विभागीय छात्रावासों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश अवसर पर सिकल सेल की जांच करायी जाएगी। उन्होने कहा कि राज्यपाल पटेल पहले संवैधानिक मुखिया है जिन्होंने प्रदेश के कोने-कोने तक पहुँच कर वंचितो के दु:ख दर्द को समझा है। उनके नेतृत्व में प्रदेश के सिकल सेल रोग प्रभावितों के जीवन मे बड़ा सुधार हुआ है। प्रदेश सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों में देश में अग्रणी है, क्योंकि हमारे राज्यपाल पटेल है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के सिकल सेल उन्मूलन महायज्ञ में जनजातीय कार्य विभाग ने भोपाल और इंदौर में 382 करोड़ रूपए के विशेषज्ञ संस्थानों के निर्माण के रूप में आहूति दी है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि प्रदेश सिकल सेल उन्मूलन कार्य होलोस्टिक दृष्टिकोण के साथ करने वाला देश का अग्रणी राज्य है। पहला राज्य है जहाँ दो से 20 वर्ष की आयु समूह का वैक्सीनेशन शुरू हुआ है। इंदौर, भोपाल में विशेषज्ञ शोध अनुसंधान के केन्द्र है। मिशन द्वारा सिकल सेल को खत्म करने के लिए तेज गति से स्क्रीनिंग और जैनेटिक कार्ड वितरण किया जा रहा है। केन्द्र सरकार के मिशन के तहत लक्ष्यों की पूर्ति में प्रदेश अग्रणी है। अभी तक एक करोड़ से अधिक की स्क्रीनिंग हो चुकी है। जांच में 2 लाख वाहक और 28 हजार से अधिक रोगी चिन्हित हुए। एलोपैथी के साथ ही आयुष, चिकित्सा के द्वारा रोग उपचार और प्रबंधन व्यापक स्तर पर हो रहा है। जनजातीय समुदाय ने जेनेटिक कार्ड मिलाकर विवाह संबंध करना शुरू कर दिया है।
संगोष्ठी में आभासी माध्यम से जुड़े आई.सी.एम.आर. के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने मध्य प्रदेश को सिकल से उन्मूलन प्रयासों में देश में अग्रणी बताया। राज्य के मिशन क्रियान्वयन, प्रबंधन और प्रभावित के जीवन को बेहतर बनाने के एकीकृत प्रयास अनुकरणीय है। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा आरगन डैमेज और दर्दकारी समस्याओं में कमी के अनुसंधान और क्लिनिकल टेस्ट के प्रयास हो रहे है। राष्ट्रीय प्रतिरक्षा रूधिर विज्ञान संस्थान मुंबई की डॉ. मनीषा मडकईकर ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। संगोष्ठी के स्वरूप पर प्रकाश प्रभारी निदेशक बी.एम.एच.आर.सी डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने स्वागत उद्बोधन में डाला। सिकल सेल रोगी और वाहकों ने अपने अनुभव मंच से साझा किए। आभार प्रदर्शन संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग यादव ने किया।