छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी से परेशान लोगों को जल्द ही राहत मिल सकती है. मौसम विभाग ने बताया है कि प्रदेश में मानसून धीरे-धीरे सक्रिय हो रहा है और 11 जून से तापमान में गिरावट शुरू हो जाएगी. 15 जून से प्रदेशभर में व्यापक और नियमित बारिश की संभावना है. इससे पहले कई जिलों में तेज हवाएं, गरज-चमक और आकाशीय बिजली की चेतावनी जारी की गई है. कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश की शुरुआत हो चुकी है और अगले दो दिनों तक गरज-चमक के साथ फुहारें जारी रह सकती हैं.

मौसम के इस बदलाव को देखते हुए प्रशासन ने सतर्कता बरतने की अपील की है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों के लिए यह समय न केवल सावधानी का, बल्कि खरीफ सीजन की तैयारी के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.

इन जिलों में आंधी और आकाशीय बिजली की चेतावनीमौसम विभाग ने बस्तर, कोंडागांव, उत्तर बस्तर कांकेर, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, बलौदा बाजार, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ जिलों के लिए विशेष चेतावनी जारी की है. इन इलाकों में 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना है. इसके साथ ही मेघगर्जन और आकाशीय बिजली गिरने की स्थिति बन रही है, जिससे जनहानि की आशंका को देखते हुए सावधानी जरूरी है.

इन जिलों में हल्की वर्षा की संभावनाबीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, धमतरी, बालोद, गरियाबंद, महासमुंद, रायपुर, बलौदा बाजार, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, जशपुर, दुर्ग, बेमेतरा, मुंगेली और सरगुजा जिलों में अगले 24 से 48 घंटों के भीतर गरज-चमक के साथ हल्की वर्षा हो सकती है. इन स्थानों पर मौसम कुछ समय के लिए ठंडा हो सकता है, जिससे भीषण गर्मी से आंशिक राहत मिलेगी.

15 जून से सक्रिय मानसून की संभावनामौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 11 जून से अधिकतम तापमान में 1 से 3 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट संभावित है. इसके साथ ही तेज हवाओं और बादलों की आवाजाही बढ़ेगी. 12 जून से वर्षा का क्षेत्र और भी अधिक फैलेगा और 15 जून के आसपास से राज्य में व्यापक और अच्छी वर्षा की शुरुआत हो सकती है, जो खरीफ फसलों की बुआई के लिए अनुकूल मानी जाएगी.

जनता और किसानों के लिए जरूरी सतर्कतामौसम में संभावित बदलाव को देखते हुए आम नागरिकों और खासकर किसानों को सजग रहने की आवश्यकता है. आकाशीय बिजली के खतरे से बचने के लिए लोगों को पेड़ों के नीचे, खुले स्थानों और बिजली के खंभों के पास जाने से बचना चाहिए. वहीं, किसान आने वाली वर्षा को ध्यान में रखते हुए बीज, खाद और बुआई की पूर्व तैयारी कर सकते हैं, जिससे समय पर खेती की शुरुआत हो सके.