निष्पक्ष आवाज कि संपादक तारिका राठौर ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक डॉग याचिका भेजी है जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज राम मनोहर ने एक केस में अपराधियों को जमानत देते हुए एक विशेष टिप्पणी जारी की जज साहब ने कहा किसी पीड़िता के निजी अंग को छूना और कपड़े उतारने की कोशिश करना दुष्कर्म के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता है उनकी इस टिप्पणी पर सवाल करते हुए प्रश्न खड़े किए आखिर कोर्ट चाहती क्या है इस तरह की टिप्पणी से अपराधियों के कूर इरादे को हवा नहीं मिली कानून की किताब कहती है आईपीसी की धारा 375 के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ उसकी सहमति के बिना संबंध बनाना बलात्कार का अपराध बनता है तो  इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज फैसले ने यह टिप्पणी कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को छूना और पजामी की डोरी तोड़ना रेप या रेप की कोशिश में नहीं आता है जज साहब की इस टिप्पणी से पूरे देश में बवाल मच रहा है और नीमच जिले के रामपुरा नगर में जज साहब की इस टिप्पणी का पूरा-पूरा  असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है यहां पर एक 14 वर्षीय मंदबुद्धि विकलांग बालिका के साथ लंबे समय से देह शोषण हो रहा था उसमें शहर के पूंजीपति 4 अयाश युवा शामिल थे इन्होंने उस बालिका को गर्भवती भी किया तथा मोहल्ले के छुट भैया नेता ने अपनी नेतागिरी का रंग दिखाते हुए बालिका का गर्भपात भी कराया और कूट रचना कर एक सरल सहज भाव के मजदूर पर अपराध क्रमांक 67/2025 धारा 62(2) एवं 65(1) 115(2) तथा 351(2) भारतीय न्याय संहिता 5 एवं 6 पास्को को एक्ट के आरोप में गिरफ्तार कर कनावटी जेल भेज दिया पुलिस ने ना लड़की का डीएनए टेस्ट कराया और नहीं आरोपी बनाए गए लखन का डीएनए टेस्ट कराया जबकि इस मामले में 4 पूंजीपति अयाश युवा पुलिस की गिरफ्त से दूर है पुलिस इन 4 अयाश युवाओं को क्यों छुपाना चाहती है इसमें भारी लेनदेन की आशंका व्यक्त की जा रही है रामपुरा नगर में घटी इस घटना और इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज राम मोहन कि इस टिप्पणी को लेकर निष्पक्ष आवाज ने विस्तार पूर्वक पत्र लिखकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज की इस टिप्पणी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं और रामपुरा में घटी इस घटना पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है निष्पक्ष आवाज से तारिका राठौर कि रिपोर्ट मो..8085637012🖊️🖊️