ईरान में गहराया ऊर्जा संकट: साउथ पार्स हमले से ठप हुआ गैस उत्पादन, दुनिया के लिए खतरा!

Israel Iran War: ईरान और इजरायल के बीच चल रही तनातनी अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है. इस बार इजरायल ने सीधे तौर पर ईरान के एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया है. इजरायल ने ईरान के दुनिया के सबसे बड़े गैस फील्ड साउथ पार्स (South Pars) के एक महत्वपूर्ण पार्ट फेज 14 पर एयरस्ट्राइक की, जिसके कारण वहां आग लग गई और गैस प्रोडक्शन को कुछ टाइम के लिए रोकना पड़ा. ऑफशोर साइट के इस स्टेज पर हुए हमले के कारण ईरान को करीब 12 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस के प्रोडक्शन को रोकना पड़ा. ऐसे में आइए जानते हैं इजरायल का यह हमला दुनिया के एनर्जी सप्लाई पर कैसे बन रहा खतरा.
क्या है साउथ पार्स गैस फील्ड?
साउथ पार्स गैस फील्ड ईरान के बुशेहर प्रांत में स्थित है. यह गैस फील्ड क़तर के साथ शेयर है, जो इसे नॉर्थ फील्ड के नाम से जानता है. यह क्षेत्र प्राकृतिक गैस का दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है. ईरान की घरेलू गैस जरूरतों का करीब 66 फीसदी हिस्सा यहीं से आता है, जिससे देश में बिजली, हीटिंग और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की आपूर्ति होती है.
बता दें ईरान अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैस उत्पादक देश है. यह सालाना लगभग 275 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) गैस का उत्पादन करता है, जो वैश्विक उत्पादन का करीब 6.5 प्रतिशत है. हालांकि प्रतिबंधों के चलते ईरान ज्यादातर गैस देश के भीतर ही इस्तेमाल करता है, जबकि थोड़ी मात्रा इराक जैसे देशों को निर्यात की जाती है. इसके विपरीत, कतर इसी क्षेत्र से हर साल 77 मिलियन टन LNG (Liquefied Natural Gas) यूरोप और एशिया को एक्सपोर्ट करता है. इस काम में शेल और एक्सॉन मोबिल जैसी दिग्गज अंतरराष्ट्रीय कंपनियां उसकी मदद करती हैं.
क्यों यह हमला इतना बड़ा है?
दरअसल अब तक इजरायल केवल ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को ही निशाना बना रहा था. लेकिन इस बार एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर पर सीधा हमला हुआ है, जो एक नए तरह से आर्थिक जंग की ओर इशारा दे रहा है. खास बात ये है कि एनर्जी एक्सपर्ट जॉर्ज लियोन के मुताबिक, यह हमला 2019 में सऊदी अरब के अबकैक तेल ठिकाने पर हुए हमले के बाद सबसे अहम माना जा रहा है.
ग्लोबल एनर्जी सप्लाई पर संकट
साउथ पार्स गैस फील्ड जहां स्थित है, वह इलाका ग्लोबल एनर्जी सप्लाई के लिए बेहद अहम है. यह न सिर्फ क़तर के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इसके पास के क्षेत्र, जैसे कि खर्ग आइलैंड (ईरान का प्रमुख ऑयल एक्सपोर्ट टर्मिनल) और स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज पर भी खतरा मंडराने लगा है. स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज़ से हर दिन करीब 21 फीसदी LNG और 1.4 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल गुजरता है.
बाजारों पर असर
इस हमले की खबर के बाद तेल की कीमतों में 14 फीसदी तक उछाल आया और कीमतें 73 डॉलर प्रति बैरल (लगभग 7000 रुपये) के आसपास पहुंच गईं. भले ही साउथ पार्स की गैस मुख्य रूप से ईरान में ही इस्तेमाल होती है, लेकिन इसका रणनीतिक महत्व काफी बड़ा है. OPEC के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक (ईरान) पर हमला यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में अगर खर्ग आइलैंड या स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज़ में कोई गड़बड़ी होती है, तो तेल और गैस की कीमतें आसमान छू सकती हैं.