टैक्स फाइलिंग में मददगार है फॉर्म 26AS, जानें इसकी अहमियत
जैसे ही इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने का समय आता है, टैक्सपेयर्स के बीच तमाम दस्तावेजों की चर्चा शुरू हो जाती है. इन्हीं में से एक सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है फॉर्म 26AS, जिसे टैक्स पासबुक भी कहा जाता है. अगर आप पहली बार ITR फाइल कर रहे हैं, तो इस फॉर्म को समझना आपके लिए बेहद जरूरी है.
क्या होता है फॉर्म 26AS?
फॉर्म 26AS एक वार्षिक टैक्स स्टेटमेंट है जो आपके पैन नंबर से जुड़ा होता है. इसमें उस वित्तीय वर्ष के दौरान आपकी आय पर कटे TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स), TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स), एडवांस टैक्स, रिफंड और अन्य बड़े लेनदेन की जानकारी होती है. यह दस्तावेज सुनिश्चित करता है कि जो टैक्स आपने चुकाया है या जो आपके ऊपर काटा गया है, वह आयकर विभाग के रिकॉर्ड में सही तरीके से दर्ज हुआ है.
ITR भरते समय फॉर्म 26AS की मदद से आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी कंपनी, बैंक या किसी अन्य संस्था ने जो TDS काटा है, वह सही तरीके से सरकार को जमा हुआ है या नहीं. इससे आपको गलतियां करने से बचाव होता है और टैक्स नोटिस आने की संभावना भी कम हो जाती है. टैक्स रिफंड की स्थिति भी इसी फॉर्म में देखी जा सकती है.
फॉर्म 26AS में जानकारी 9 हिस्सों में बंटी होती है
Part A में आय पर काटे गए TDS की जानकारी होती है. Part A1 में 15G/15H फॉर्म जमा करने पर नहीं काटे गए TDS का ब्योरा होता है. Part A2 में प्रॉपर्टी बिक्री पर काटे गए TDS की जानकारी दी जाती है. Part B में TCS की जानकारी होती है. Part C में एडवांस टैक्स और सेल्फ असेसमेंट टैक्स का ब्योरा रहता है. Part D में टैक्स रिफंड की डिटेल्स मिलती हैं. Part E में शेयर, म्यूचुअल फंड जैसे बड़े वित्तीय लेनदेन की जानकारी होती है. Part F में प्रॉपर्टी खरीद पर काटे गए TDS की जानकारी रहती है. Part G में उन ट्रांजैक्शनों का ब्योरा होता है, जिनमें TDS नहीं काटा गया जबकि काटा जाना चाहिए था.
फॉर्म 26AS टैक्स फाइलिंग के दौरान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिससे टैक्सपेयर्स अपने सभी टैक्स संबंधित लेन-देन का सही मिलान कर सकते हैं. इससे न सिर्फ टैक्स भरने में पारदर्शिता रहती है, बल्कि गलतियों और पेनल्टी से भी बचा जा सकता है.