रामपुरा डिस्मेंटल कब्रस्तान एवं डिस्मेंटल कब्रस्तान में व्यावसायिक उपयोग के संबंध में मंगलवार 11 जून को जनसुनवाई में कलेक्टर महोदय को प्रमाणित तथ्यों के साथ एवं आवश्यक दस्तावेजों के साथ शिकायत की गई थी कलेक्टर महोदय ने मनासा एसडीएम श्री पवन बावरिया को परीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे 11 जून से लेकर 15 जून शनिवार तक व्यावसायिक उपयोग के लिए किये जाने वाले डिस्मेंटल कब्रस्तान का स्थल निरीक्षण तक नहीं किया गया लेकिन क्षेत्रीय विधायक श्री माधव मारू की जानकारी में यह मामला आने पर वो जरूर सक्रिय हुए और 13 जून को नगर पंचायत रामपुरा में आ धमके और उन्होंने मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्री सूर्यवंशी को फटकार लगाई और डिस्मेंटल कब्रस्तान एवं व्यावसायिक उपयोग के लिए डिस्मेंटल कब्रस्तान का जो उपयोग किया गया उस फाइल का भी निरीक्षण किया और एक अनाज व्यापारी को अवैधानिक रूप से नपा द्वारा जो लिज दी गई उसका भी निरीक्षण किया और उसे निरस्त करने के निर्देश सीएमओ को दिए तथा डिस्मेंटल कब्रस्तान का स्वामित्व को भौतिक रुप से प्राप्त करने के निर्देश दिए तथा बड़ा तलाब का और रिंगवाल का औचक निरीक्षण किया विधायक के आदेश और निर्देश होने के बाद भी डिस्मेंटल कब्रस्तान में बनाई गई दुकानों में रंग रोगन एवं लाइट फिटिंग का कार्य तीव्र गति से होने लगा विधायक की सक्रियता के बाद प्रशासन का निष्क्रिय होना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि प्रशासन इस मामले में लिपा पोती करने में लगा है यह इस तथ्य से प्रमाणित होता है प्रति शुक्रवार एसडीम महोदय का कैंप रामपुरा तहसील में लगता है एसडीम महोदय यहां पधारे भी लेकिन डिस्मेंटल कब्रस्तान में व्यावसायिक उपयोग के लिए बनाई गई दुकानों का स्थल निरीक्षण नहीं किया स्थानीय प्रशासन का यह विधि सम्मत कर्तव्य है किसी भी गलत और अवैधानिक कार्य का निरीक्षण करें और ऐसे कार्य (सुमोटो ) स्प्रेरणा से किया जाना था जबकि यहां तो प्रमाणित रूप से कलेक्टर महोदय को शिकायत किए जाने के बाद एसडीम महोदय को जांच सौपने के पश्चात कार्रवाई में कोई गति नहीं आई जबकि वैधानिक रूप से इस मामले में स्थानीय प्रशासन एवं एसडीम महोदय को शिकायत के पूर्व ही इस मामले में सुमोटो निगरानी में लेना था ऐसा क्यों नहीं हुआ मान लिया जाए कि प्रशासन को ऐसी अवैधानिकता की भनक तक नहीं लगी लेकिन शिकायत के बाद तो प्रशासन को उचित वैधानिक कार्रवाई तत्काल करना चाहिए थी जो नहीं की जाकर हाई कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है हाई कोर्ट का यह आदेश है जब मुर्दे दफनाने को प्रतिबंधित किया गया था तब बोहरा समाज ने एक याचिका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की जिस पर न्यायालय ने यह आदेश पारित किया की सर्वे नंबर 6354 के कब्रस्तान को 10 फीट ऊंची दिवाले बनाकर मुर्दे दफनाने के आदेश दिए थे लेकिन दरगाह मैनेजर ने तो हाई कोर्ट के आदेश की ही धजिया उड़ा दी और पूर्व में तो कब्रस्तान के अंदर दुकानें निर्मित की फिर हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार दीवाल तोड़ कर हाई कोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी ऐसे में प्रशासन का मौन रहना अनेक संदेह को जन्म दे रहा है निष्पक्ष आवाज से तारीका राठौर की रिपोर्ट मो.8085637012