रामपुरा महिलाओं ने शीतला सप्तमी के अवसर पर रात बारह बजे के बाद से लालबाग में स्थित शीतला माता मंदिर में पहुंचकर माता का पूजन जारी हुआ जो पूरे दिन भर जारी रहा माता शीतला के पूजन के लिए महिलाएं घर पर पहले से ही तैयारी में जुटकर मां के लिए कई प्रकार का प्रसाद बनाकर पूजन सामग्री के साथ ही प्रसाद की थाली को सजाकर रखती है उसके बाद घर की महिलाओं द्वारा किचन की सफाई करने के बाद गैस चूल्हे पर स्वस्तिक साथिया बनाती है उसके बाद किचन में खाना नहीं बनाया जाता है फिर ठंडे पानी से नहाने के बाद रात्रि में शीतला माता मंदिर पहुंचकर पूजन किया जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शीतला सप्तमी-अष्टमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है जिसमें शीतला माता का व्रत एवं पूजन किया जाता है शीतला सप्तमी का पर्व होली एवं रंगपंचमी पर्व के सम्पन्न होने के पश्चात मनाया जाता है देवी शीतला की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से आरंभ होती है

स्कंद पुराण के अनुसार देवी शीतला चेचक छोटी माता जैसे रोग की देवी हैं, यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन(झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गंर्दभ की सवारी किए यह अभय मुद्रा में विराजमान होती हैं

सप्तमी के दिन शीतला मां की पूजा अर्चना की जाती है तथा पूजा के पश्चात बासी ठंडा खाना ही माता को भोग लगाया जाता है जिसे बसौड़ा कहा जाता हैं। वही बासी भोजन प्रसाद के रूप में खाया जाता है तथा यही नैवेद्य के रूप में समर्पित सभी भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया गया निष्पक्ष आवाज से तारिका राठौर कि रिपोर्ट मो..8085637012🖊️🖊️