रामपुरा एक ऐतिहासिक नगर है आज के आधुनिक युग में जिस प्रकार जल बचाने की योजनाएं चल रही है वे योजनाएं तो आंशिक रूप से सफल हो रही है लेकिन रामपुरा नगर में पुरातन जल बचाओ योजना के अंतर्गत जो जल संरचनाएं तैयार की गई है वह इजराइल की समस्या को भी मात दे रही है बूंद बूंद पानी बचाने के लिए बारिश के पानी को रोकने के लिए रामपुरा में बड़ी अनोखी जल संरचना है पहाड़ों से बहकर बारिश के पानी की एक-एक बूंद का संचय करने का तरीका इटली और इजराइल की जल संरचना को भी मात दे रहा है शासन प्रशासन इससे सीख लेकर योजनाओं को अंजाम दे तो बूंद बूंद पानी बचाया जा सकता है और इसी से जल ही जीवन के सूत्र की  वाक्य का सार्थक हो सकता है अमृत तुल्य पानी को बचाने के लिए आज जो जहोजहद हो रही है उसे रामपुरा के राजा ने  सालों पहले ही  वाकिफ थे शायद उसी के कारण उन्होंने जो जल संरचनाएं तैयार कराई वह अपने आप में अनोखी है आज से 400 साल पहले नगर से 3 किलोमीटर दूर स्थित चंबल को नगर तक लाने व्यवस्था नहीं थी योजना को ही सहजने की योजना बनाई पहाड़ों के बीच बने महलों में कई कुंड बनवाएं जिसमें बारिश का पानी सीधा संचय होता है है महलों में एक के बाद एक क्रम से चार कुंड बनवाएं जिसमें बारिश का पानी सीधे संचय होता है इन कुंडों में आने वाला पानी फिर खुली भूमियों और नालों में ले जाने की व्यवस्था की गई है इस तरह प्राचीनतम जल दोहन व्यवस्था आज की वैज्ञानिक पद्धति को भी मात दे रही है शासन को चाहिए कि यहां की जल संरक्षण व्यवस्था का अध्ययन कर अन्य स्थानों पर भी इसी प्रकार की व्यवस्था की जाना चाहिए ताकि वास्तविक रूप से जल संरक्षण का कार्य संपादित हो सके निष्पक्ष आवाज से तारीका राठौर की रिपोर्ट मो.8085637012