रामपुरा जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार और क्रमशः बढ़ती जा रही है सर्वप्रथम गांधी सागर अभ्यारण क्षेत्र में  सुरक्षित वन क्षेत्र में आग लग चुकी है यह आग कोई साधारण आग नहीं थी लगभग 6 घंटे आगजनी हुई फायर ब्रिगेड और पानी के टैंकर के माध्यम से आग बुझाई गई वनों का तो नुकसान हुआ ही अभ्यारण क्षेत्र में जीव जंतु के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ा और हानि हुई और हजारों छोटे जीव जंतु तो आगजनी के शिकार हो गए इसके बाद रामपुरा वन परिक्षेत्र के सभी कंपार्टमेंट में आगजनी हुई कल रात 9 अप्रैल बुधवार को रामपुरा अरावली पहाड़ पर भीषण रूप से जंगल में आग लगी जिसको रामपुरा वासियों ने मोबाइल में कैद किया सबसे आश्चर्यजनक बात है लगतार आगजनी की घटना हो रही है और रामपुरा वन परिक्षेत्र के अधिकारी आग लगे कि घटना पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं लगातार वन क्षेत्र में आगजनी को रोक नहीं पाना वन परिक्षेत्र अधिकारी की अक्रर्मिणता का स्पष्ट प्रमाण है सभी कम्पार्टमेन्ट पर चौकीदार और वनरक्षक रहते हैं उनका कार्य सतत निगरानी करने का रहता है जंगलों में पशुपालक बीड़ी सिगरेट पीने के लिए माचिस ले जाते हैं जिनकी रोकथाम करना वन विभाग का दायित्व है माचिस जंगल में ले जाना नियम अनुसार नहीं है ऐसी परिस्थिति में जंगल में आने जाने वाले लोगों की मीटिंग बुलाकर उन्हें हिदायत देने की आवश्यकता थी जो नहीं की संदिग्ध लोगों को जंगल में जाने से रोका चाहिए जो नहीं रोका जा रहा है यहां तो स्थिति यह है कि वन विभाग की भूमि में ग्राम पंचायत द्वारा तलाई तक खोद दी गई और वन विभाग को तलाई खुदने के बाद पता चला तो आश्चर्य की बात है कि चौकीदार वनरक्षक और वन परिक्षेत्र अधिकारी अपने कर्तव्य का दायित्व कैसे निभा रहे हैं जंगलों में आग लगने की घटना कोई साधारण घटना नहीं है मानव जीवन में जंगल में आग लगने से गंभीर दुष्परिणाम होते हैं आग से निकलने वाला धुआं और  जहरीली गैस वायु को प्रदूषित करती है जंगल की आग से अत्यधिक मात्रा में धुआ और कार्बन मोनोऑक्साइड ब्लैक कार्बन और अन्य जहरीली गैस निकलती है जो वायु प्रदूषित करती है जंगल में आग लगने से मिट्टी की गुणवत्ता भी समाप्त होती है प्रदूषण से पानी के स्रोत भी दूषित होते हैं जंगल की आगजनी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है वातावरण में कहीं तरह के प्रदूषण छोड़ती है जिसमें ब्लैक कार्बन कार्बन मोनोऑक्साइड नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर शामिल हैं ये प्रदूषक मौजूदा वायु प्रदूषण के साथ मिलकर मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर धुएं के हानिकारक प्रभाव को बढ़ा सकते हैं जंगल की आग से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है जो जलवायु परिवर्तन को तेज करता है जंगलों में आग लगा कोई साधारण बात नहीं है यह मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है आंखों में जलन और अन्य शारीरिक बीमारियां पैदा होती है और जलवायु परिवर्तन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है ऐसे में इस प्रकार की घटना आगे नहीं हो इस हेतु समुचित प्रयास वन विभाग को और प्रशासन को करना चाहिए निष्पक्ष आवाज से तारिका राठौर कि रिपोर्ट मो ...8085637012🖊️🖊️