जंगल राज पर पुलिस मौन क्यों है? और क्यों दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है किसके श्रेय पर हो रहा है ये खेल

रामपुरा ऐसा लगता है रामपुरा में जंगल राज चल रहा है न कानून का डर है और नहीं नैतिकता का पालन हो रहा है आश्चर्य की बात तो यह है कि कानून का पालन कराने वाला विभाग ही अवैधानिकता को खुलेआम रुप से हाथ पे हाथ धरा देख रहा है मामला कोई दूसरे विभाग का नहीं है यह मामला पुलिस विभाग का है आश्चर्य की बात तो यह है कि बिना किसी नियम प्रक्रिया के पालन किए किसी अधिकारी के बिना अनुमति के जंगल राज की तरह वर्षों पुराने थाने में पुलिस क्वार्टरों को नष्ट किया गया और वहां के पत्थर खुलेआम बेच दिए गए ट्रैक्टर भी चले मजदूर भी लगे खुलेआम सड़कों पर पत्थर भरकर ट्राली निकली लेकिन कानून का पालन कराने वाले विभाग मुख दर्शक बना रहा और दर्शक बने की कहानी भी अजब ढंग से गड़ी गई यह सारा खेल हर हर महादेव के आश्रम के संत के नाम से खेला गया जबकि इससे उनका कोई लेना देना नहीं है तथाकथित इनको गौ भक्तों को गौशाला ही खोलना थी तो पुराने थाने के मालिक और पुलिस प्रशासन से वैधानिक रूप से अनुमति लेना थी चलो यह मान भी लिया जाए अज्ञानता वश अनुमति नहीं ली तो क्वार्टर तोड़कर पत्थर बेचने की कहां आवश्यकता पड़ गई यह घटनाक्रम लगभग एक माह से चल रहा है लेकिन किसी भी तरह से कानून का पालन कराने वाले विभाग का इस और ध्यान क्यों नहीं गया यह धौर आश्चर्यजनक तथ्य है जब कानून के रखवाले अपना आशियाना उजड़ता हुआ देख सकते हैं तो जनता की सुरक्षा कैसे अपेक्षा की जा सकती है कानून तो यह कहता है जिस ट्रैक्टर से पत्थर ले जाए गए और जहां पत्थर बेचे दोनों पर वैधानिक कार्रवाई हो और किसके कहने पर बेचे वो भी कानून के शिकंजे में आए तब जनता को यह महसूस होगा की रामपुरा नगर में कानून का राज है जहां पत्थर बेचे जा रहे हैं वहीं पुराने तहसील प्रागराण में वर्षों पुराने बाड़े और हरे भरे पेड़ काट कर बेच दिए गए हैं यह सारा खेल भी खुले आम हुआ इस प्रकार नगर में किसकी श्रेय पर जंगल राज चल रहा है यह पता करना पुलिस का दायित्व है और दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का कार्य भी पुलिस का है ऐसे में पुलिस का मौन रहना अनेक संदेह को जन्म दे रहा है निष्पक्ष आवाज से तारीका राठौर कि रिपोर्ट मो 8085637012🖊️🖊️