नगर के समुचित विकास के लिए दारीद्रर के डेर को गंदगी की समुचित सफाई कर विकास की नई इबारत का दायित्व निभाए युवा बुद्धिजीवी एवं जनप्रतिनिधि

धार्मिक रहस्यों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस घर में दालिदर रहता है, उस घर का कभी उधार नहीं होता है , लेकिन रामपुरा नगर में तो चारों और दालिदर दिखाई देता हैं, जो नीमच गांधी सागर रोड पर स्थित से, आईटीआई से लेकर कृषि उपज मंडी तक सड़क के दोनों और गंदगी ही गंदगी कचरो के डेर और जलकुम्भी गाजर घास रोडियो के डेर नगर में प्रवेश करते ही दिखाई दे देते हैं इसी प्रकार से अस्पताल से लालबाग रोड तक दोनों और दरिद्र नारायण के ही दर्शन होते हैं लालबाग में छोटा तालाब को तो एशिया का सबसे बड़ा मूत्रालय बनाया रखा है, जिसका सर्वांगीण विकास पर किसी का ध्यान नहीं है, तालाब के चारों और मिट्टी के डेर लगे हुए हैं, लाल बाग से लेकर जगदीश मंदिर तक जाने वाला रास्ता निर्माण अधीन है जो नगर पंचायत परिषद की और अपनी जवाबदारी नहीं निभाए जाने के कारण नगर में स्थित डिस्मेंटल कब्रिस्तानों को लेकर सन 1970 से राजनीतिक लोग अपने हितों को ध्यान में रखते हुए इस पर राजनीति कर रहे हैं और इसका कोई निराकरण समाधान नहीं निकाल रहे हैं जिस कारण नगर का सौदर्यीकरण भी प्रभावित हो रहा है विकास भी अनुरूद्ध हो रहा है ऐसी स्थिति में नगर पंचायत से जुड़े लोग अपने हितों के लिए बार-बार यहां तनाव की स्थिति निर्मित कर अपना हित साधन में लगे रहते हैं ना शासन का कोई ध्यान है ना जिला प्रशासन चिंतित है स्थानीय प्रशासन तो अपने हितों के लिए इसका उपयोग और दुर उपयोग करता आ रहा है चारों ओर दरिद्र नारायण की गंदगी फेल रही है और स्वच्छ भारत की स्पष्ट पोल खोल रही है लेकिन स्वच्छता तो कहीं दिखाई नहीं देती, ऐसी स्थिति में, नगर का विकास कैसे हो, इस विषय पर यहां के बुद्धिजीवी युवा वर्ग को विचार करना चाहीए इससे पहले दरिद्र नारायण का नाटकीय सफाया कर विकास कार्य योजना को मूर्त रूप में दिया जाना चाहिए,
निष्पक्ष आवाज से तारिका राठौर की रिपोर्ट