भारतीय वायुसेना का आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम
भारतीय वायुसेना अपने अटैक हेलीकॉप्टर बेड़े को आधुनिक और स्वदेशी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है. सूत्रों के मुताबिक, पुराने सोवियत दौर के Mi-35 हिंड हेलीकॉप्टर को 2030 के दशक तक पूरी तरह से सेवा से हटाया जाएगा. फिलहाल IAF एक ही स्क्वाड्रन में इन हेलीकॉप्टर्स का उपयोग कर रही है और इन्हें इस दशक के अंत तक ऑपरेशन में बनाए रखने के लिए रूस की मदद से ओवरऑल किया जा रहा है.
डिफेंस सूत्रों के अनुसार, Mi-35 की जगह अब स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) ‘प्रचंड’ लेगा. हालांकि, दोनों हेलीकॉप्टर वजन और क्षमता के मामले में अलग हैं, फिर भी वायुसेना का भरोसा अब पूरी तरह से ‘प्रचंड’ पर है, क्योंकि इससे भारत की विदेशी अटैक हेलिकॉप्टर पर निर्भरता कम होगी और स्वदेशी अटैक हेलिकॉप्टर प्रचंड प्रोग्राम का और विस्तार होगा.
‘Mi-35’ दशकों तक वायुसेना का भरोसेमंद योद्धा
1980 के दशक में शामिल हुआ Mi-35 वायुसेना के लिए एक भरोसेमंद अटैक हेलीकॉप्टर रहा है. इसने कई अभियानों में नजदीकी हवाई मदद और दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को निशाना बनाने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन अब जब यह हेलीकॉप्टर अपने सेवा जीवन के अंतिम चरण में है, तो वायुसेना का फोकस आधुनिक और स्वदेशी विकल्पों की ओर बढ़ रहा है.
‘प्रचंड’ पर बड़ा दांव, अमेरिकी अपाचे हेलिकॉप्टर पर निर्भरता कम !
सूत्रों के मुताबिक, HAL द्वारा विकसित LCH ‘प्रचंड’ न केवल Mi-35 की जगह लेगा, बल्कि आने वाले समय में यह IAF का मुख्य अटैक हेलीकॉप्टर बन जाएगा. इसके चलते वायुसेना अमेरिकी AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर्स की खरीद योजना पर विचार कर रही है. यदि प्रचंड हेलीकॉप्टर वायुसेना की ताकत बढ़ाएगा और तमाम ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने में सफल रहता है तो हो सकता है कि अपाचे हेलिकॉप्टर की और खरीद न की जाए. हालांकि, इस विषय पर अभी मंथन चल रहा है और यदि ऐसा होता है तो प्रचंड न केवल Mi-35 की जगह लेगा, बल्कि जल्द ही यह हमारे बेड़े का सबसे बड़ा अटैक हेलीकॉप्टर बन जाएगा.
क्यों खास है प्रचंड?
प्रचंड एक हल्का लेकिन शक्तिशाली अटैक हेलीकॉप्टर है, जिसे खासतौर पर ऊंचे और कठिन इलाकों में ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 5.8 टन है, जो Mi-35 के 11.5 टन से काफी कम है. इसके हल्के होने का फायदा यह है कि यह 6,500 मीटर (करीब 21,300 फीट) की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है जो लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्रों में बहुत जरूरी है.
यह हेलीकॉप्टर एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल, 20 मिमी टर्रेट गन और रॉकेट पॉड्स से लैस है. इसमें स्टेल्थ फीचर्स और आधुनिक एवियोनिक्स हैं, जो इसे दुश्मन की नजर से बचने और सटीक हमले करने में सक्षम बनाते हैं.
IAF और सेना दोनों कर रही हैं ‘प्रचंड’ की तैनाती
भारत सरकार ने 156 प्रचंड (LCH) हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय और HAL के बीच 62,700 करोड़ रुपये का समझौता किया है. इसमें से 90 हेलीकॉप्टर सेना को और 66 वायुसेना को दिए जाएंगे. अभी वायुसेना के पास 10 और सेना के पास 5 प्रचंड हेलीकॉप्टर हैं.
एक युग का अंत, एक नए युग की शुरुआत
Mi-35 की सेवा समाप्ति भारतीय वायुसेना के लिए एक युग के अंत जैसा होगा. दशकों से वायुसेना रूसी हेलीकॉप्टरों पर निर्भर रही है. अब जब वह पूरी तरह से स्वदेशी हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ पर भरोसा जता रही है, तो यह भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति की दिशा में एक मजबूत कदम है.